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MPV Blood TEST

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MPV Blood TEST What is an MPV blood test? MPV stands for mean platelet volume.  Platelets  are small blood cells that are essential for blood clotting, the process that helps you stop bleeding after an injury. An MPV blood test measures the average size of your platelets. The test can help diagnose  bleeding disorders  and diseases of the  bone marrow . Other names: Mean Platelet Volume What is it used for? An MPV blood test is used to help diagnose or monitor a variety of blood-related conditions. A test called a platelet count is often included with an MVP test. A platelet count measures the total number of platelets you have. Why do I need an MPV blood test? Your health care provider may have ordered an MPV blood test as part of a  complete blood count  (CBC), which measures many different components of your blood, including platelets. A CBC test is often part of a routine exam. You may also need an MPV test if you have symptoms of a blo...

चालमोंगरा

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गंठिया में चालमोंगरा के फायदे एवं सेवन विधि: गठिया में चालमोंगरा के बीजों का चूर्ण एक ग्राम की मात्रा में दिन में दो तीन बार खिलाने से गठिया में आराम दायक होता है। मधुमेह में चालमोंगरा के फायदे एवं सेवन विधि: मधुमेह में चालमोंगरा की फल गिरी का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो तीन बार सेवन करने से पेशाब से खंड जाना कम हो जाती है, जब मूत्र में शक़्कर जाना बंद हो जाये तो प्रयोग बंद कर देना चाहिए: मधुमेह में गाजर के फायदे एवं सेवन विधि:   क्षयरोग में चालमोंगरा के फायदे एवं सेवन विधि: क्षयरोग  में चालमोंगरा के तेल की 5-6 बूंदे दूध के साथ सुबह-शाम सेवन तथा मक्खन में मिलाकर छाती पर मालिश करने से टी.बी. रोग में लाभदायक होता है। सफ़ेद दाग में चालमोंगरा के फायदे एवं सेवन विधि: कुष्ठ रोग (सफ़ेद दाग) में चालमोंगरा के 10 बूंदे तेल को पीलाने से जिससे वमन होकर शरीर के सभी प्रकार के दोष बाहर निकल जाते है, तत्पश्चात 5-6 बूँदों को कैप्सूल में डालकर या दूध व मक्खन में भोजनोपरांत सुबह-शाम सेवन करने से धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाकर 60 बूंदे तक ले जायें। इस तेल को नीम के तेल में मिलाकर शरीर पर लेप करे...

मुलैठी (लिकोरिस)

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मुलैठी  मुलैठी (लिकोरिस) लिकोरिस (यष्टिकामधु) इम्यूनोस्टिमुलेशन को बढ़ाता है और इन विट्रो मैक्रोफेज (सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाता है जो एंटीबॉडी को निगलते हैं) कार्यों को बढ़ाता है। यह एक एंटीवायरल एजेंट और एक्सपेक्टोरेंट भी है, जो अस्थमा, तीव्र या पुरानी ब्रोंकाइटिस और पुरानी खांसी में फायदेमंद है।

गिलोय

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 *गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।* *इसका वानस्पिक नाम( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia है।* इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं।  #गिलोय_के_फायदे… *गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता* गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम कर...

पायस (इमल्शन)

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पायस (इमल्शन) A. दो अमिश्रणीय तरल जिनका अभी पायसन नहीं बना है; B. प्रावस्था II, प्रावस्था I मे परिक्षेपित होने से बना पायसन; C. एक अस्थिर पायसन समय के साथ अलग होता है; D. पृष्ठसक्रियकारक (सरफैक्टेंट) (बैंगनी रेखा) खुद को प्रावस्था II और प्रावस्था I के मध्य लाकर पायसन को स्थायित्व प्रदान करता है। पायस  (emulsion) दो या इससे अधिक अमिश्रणीय तरल पदार्थों से बना एक मिश्रण है। एक तरल (परिक्षेपण प्रावस्था) अन्य तरल (सतत प्रावस्था) में परिक्षेपित (फैलता) होता है। कई पायसन तेल/पानी के पायसन होते हैं, जिनमे आहार वसा प्रतिदिन प्रयोग मे आने वाले तेल का एक सामान्य उदाहरण है। पायसन के उदाहरण में शामिल हैं,  मक्खन  और  मार्जरीन ,  दूध  और क्रीम,  फोटो फिल्म  का प्रकाश संवेदी पक्ष,  मैग्मा  और धातु काटने मे काम आने वाले तरल। मक्खन और मार्जरीन, मे वसा पानी की बूंदों को चारो ओर से ढक लेता है (एक पानी में तेल पायसन)। दूध और क्रीम, मे पानी, वसा की बूंदों के चारों ओर रहता है (एक तेल में पानी पायसन)। मैग्मा के कुछ प्रकार में, तरल की गोलिकायें  NiFe ...

आयुर्वेद क्या है और पूरा सार!

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                                                            आयुर्वेद  ( आयुः + वेद = आयुर्वेद )  [1] विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह  विज्ञान ,  कला  और  दर्शन  का मिश्रण है। ‘आयुर्वेद’ नाम का अर्थ है, ‘जीवन से सम्बन्धित ज्ञान’। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है। हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्। मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥  -( चरक संहिता  १/४०) (अर्थात जिस ग्रंथ में -  हित आयु  (जीवन के अनुकूल),  अहित आयु  (जीवन के प्रतिकूल),  सुख आयु  (स्वस्थ जीवन), एवं  दुःख आयु  (रोग अवस्था) - इनका वर्णन हो उसे आयुर्वेद कहते हैं।) आयुर्वेद के ग्रन्थ तीन दोषों ( त्रिदोष...

औषधि किसे कहते हैं

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                                                              औषधि  वह पदार्थ है जिन की निश्चित मात्रा शरीर में निश्चित प्रकार का असर दिखाती है। इनका प्रयोजन चिकित्सा में होता है। किसी भी पदार्थ को औषधि के रूप में प्रयोग करने के लिए उस पदार्थ का गुण, मात्रा अनुसार व्यवहार, शरीर पर विभिन्न मात्राओं में होने वाला प्रभाव आदि की जानकारी अपरिहार्य है। औषधियाँ रोगों के इलाज में काम आती हैं। प्रारंभ में औषधियाँ पेड़-पौधों, जीव जंतुओं से  आयुर्वेद  के अनुसार प्राप्त की जाती थीं, लेकिन जैसे-जैसे रसायन विज्ञान का विस्तार होता गया, नए-नए तत्वों की खोज हुई तथा उनसे नई-नई औषधियाँ कृत्रिम विधि से तैयार की गईं।               औषधियों के प्रकार अंत:स्रावी औषधियाँ  (Endrocine Drugs)- ये औषधियाँ मानव शरीर मे प्राकृतिक हार्मोन्स के कम या ज्यादा उत्पादन को संतुलित करती हैं। उदाहरण- इं...

सिनकोना औषधि /उपयोग

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        सिनकोना (Cinchona) एक  सदाबहार  पादप है जो झाड़ी अथवा ऊँचे वृक्ष के रूप में उपजता है। यह रूबियेसी (Rubiaceae) कुल की वनस्पति है। इनकी  छाल  से  कुनैन  नामक औषधि प्राप्त की जाती है जो  मलेरिया ज्वर  की दवा है। सिनकोना Cinchona pubescens  - पुष्प वैज्ञानिक वर्गीकरण जगत : पादप अश्रेणीत: एंजियोस्पर्म अश्रेणीत: द्विबीजपत्री अश्रेणीत: ऍस्टरिड्स गण : जेन्टियैनेलिस कुल : रुबीशी उपकुल : सिन्कोनॉएडी गणजाति: सिन्कोनी [1] वंश : सिन्कोना L. प्रजाति लगभग ३८ प्रजातियाँयह बहुवर्षीय वृक्ष सपुष्पक एवं द्विबीजपत्री होता है। इसके पत्ते लालिमायुक्त तथा चौड़े होते हैं जिनके अग्र भाग नुकीले होते हैं। शाखा-प्रशाखाओं में असंख्य मंजरी मिलती है। इसकी छाल कड़वी होती है। इस वंश में ६५ जातियाँ हैं। सिनकोना का पौधा नम-गर्म जलवायु में उगता है।  उष्ण  तथा  उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्र  जहां तापमान ६५°-७५° फारेनहाइट तथा वर्षा २५०-३२५ से.मी. तक होती है सिनकोना के पौधों के लिये उपयुक्त है। भूमि में जल जमा नहीं होना चाहिए तथा...